दूर जाना चाहती हूँ तुमसे
बहुत दूर
जहां तेरी यादों का
तेरे वजूद का साया भी ना हो...
नहीं तड़पना चाहती हूं तेरी यादों के संग
तेरे जज्बातों के संग,
दूर जाना चाहती हूं मै तेरे अहसासों से,
जहां तेरा ख्वाब भी ना हो...
पल पल जीया है तुम्हें हर लम्हां हर सांसो में,
अब दूर कर रही हूँ जिस्म से सांसो को,
मुझे दूर जाना है जहां कोई अरमान ना हो...
बहुत टूट चुकी हूँ मै,
हां टूट चुकी हूँ मै,
तुम्हे खबर थी टूट जाऊंगी मै,
हां देखो पत्थर बन चुकी हूँ मै,
मुझे दूर जाना है तुमसे जहां मुझे तराशने वाला ना हो....
बहुत दूर
जहां तेरी यादों का
तेरे वजूद का साया भी ना हो...
नहीं तड़पना चाहती हूं तेरी यादों के संग
तेरे जज्बातों के संग,
दूर जाना चाहती हूं मै तेरे अहसासों से,
जहां तेरा ख्वाब भी ना हो...
पल पल जीया है तुम्हें हर लम्हां हर सांसो में,
अब दूर कर रही हूँ जिस्म से सांसो को,
मुझे दूर जाना है जहां कोई अरमान ना हो...
बहुत टूट चुकी हूँ मै,
हां टूट चुकी हूँ मै,
तुम्हे खबर थी टूट जाऊंगी मै,
हां देखो पत्थर बन चुकी हूँ मै,
मुझे दूर जाना है तुमसे जहां मुझे तराशने वाला ना हो....
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