Monday, 9 October 2017

Ravi In LKO

कभी तो आस्माँ से चाँद उतरे जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूबसूरत शाम हो जाए
वो मेरा नाम सुनकर कुछ ज़रा शर्मा से जाते हैं
बहुत मुमकिन है कल इसका मुहब्बत नाम हो जाए
ज़रा सा मुस्कुरा कर हाल पूछो दिल बहल जाए
हमारा काम हो जाए तुम्हारा नाम हो जाए
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए

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