कभी तो आस्माँ से चाँद उतरे जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूबसूरत शाम हो जाए
वो मेरा नाम सुनकर कुछ ज़रा शर्मा से जाते हैं
बहुत मुमकिन है कल इसका मुहब्बत नाम हो जाए
ज़रा सा मुस्कुरा कर हाल पूछो दिल बहल जाए
हमारा काम हो जाए तुम्हारा नाम हो जाए
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
No comments:
Post a Comment